Bajrang Baan को आप अनदेखा ना करें | इसे पढ़ने मात्र से ही आपके जीवन में कुछ ही दिनों में आप चमत्कार देखेंगे, Bajrang Baan कब पढ़ना चाहिए |
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बजरंगबली कलयुग के जागृत देवता है, जो कि पूजा-पाठ से ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं !
जो भी सच्चे दिल से सच्ची आस्था के साथ Bajrang Baan का पाठ करता है उस पर हनुमान जी का आशीर्वाद सदा बना रहता है !
Bajrang Baan Lyrics
|| दोहा ||
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सम्मान |
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ||
|| चौपाई ||
जय हनुमंत संत हितकारी | सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ||
जन के काज विलंब न कीजे | आतुर दोरी महासुख दीजिए |२|
जैसे कूदि सिंधु वहि पारा | सुरसा बदन पैठि विस्तारा ||
आगे जाय लंकिनी रोका | मारेहु लात गई सुर लोका |४|
जाय विभीषण को सुख दीन्हा | सीता निरखि परम पद लिन्हा ||
भादू जारी सिंधु महं बोरा | अति आतुर यम कातर तोरा |६|
अक्षय कुमार मारी संहारा | लूम लपेटी लंक को जारा ||
लाह समान लंक जरि गई जय जय धुनि सुर पुर महं भई |८|
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी | कृपया करहु उर अंतर्यामी ||
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता | आतुर हुई कोई दु:ख नहीं पाता |१०|
जय गिरिधर जय जय सुख सागर | सूर्य समूह समरथ भटनागर ||
ओम हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले | बैरीहि मारू बज्र की कीले |१२|
गदा बज्र लै बैरीहि मारो | महाराज प्रभु दास उबारो ||
ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो | बज्र गदा हनु विलम्ब ना लावो |१४|
ॐ हीं हीं हीं हनुमन्त कपीसा | ओम हूं हूं हूं हनु अरि उर शीशा ||
सत्य होउ हरि शपथ पायके | राम दुत धरू मारू धाय के १६|
जय जय जय हनुमन्त अगाधा | दु:ख पावत जन केहि अपराधा ||
पूजा जब तक नीमच आरा | नाही जानत कुछ दास तुम्हारा |१८|
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं | तुमरे बल हम डरपत नाहीं ||
पाय परौं कर जोरि मानवों | यह अवसर अब केही गोहरावों |२०|
जय अंजनि कुमार बलवन्ता | शंकर सुवन धीर हनुमन्ता ||
बदन कराल काल कुल धारक | राम सहाय सदा प्रतिपालक |२२|
भूत प्रेत पिशाच निशाचर | अग्नि बेताल काल मारीमर ||
इन्हें मारु तोहि शपथ राम की | रघु नाथ मरजाद नाम की |२४|
जनकसूता हरि दास कहावो | ताकि शपथ विलम्व न लावो ||
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा | सुमिरत होत दुसह दु:ख नासा |२६|
चरण शरण कड़ी जोड़ी मनाओ | यही अवसर अब के ही गोहरावौं ||
उठु उठु चालू तोहिं राम दुहाई | पांय परौं कर जोरि मनाई |२८|
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता | ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ||
ॐ हं हं हं हांक देत कपि चन्चल | ॐ सं सं सहम खल दल |३०|
अपने जन को तुरंत उवारो | सुमिरत होय आनंद हमारो ||
यही बजरंग वाण जेही मारो | ताहि कहो फिर कौन उबारो |३२|
पाठ करै बजरंग बाण की | हनुमत रक्षा करै प्राण की ||
यह बजरंग बाण जो जापै | तेही ते भूत प्रेत सब कांपे |३४|
धूप देय अरु जपै हमेशा | ताके तन नहीं रहे कलेशा |३५|
आगे पढ़े व जाने पंक्ति दर पंक्ति बजरंग बान का अर्थ क्या है | क्या आप जो नित्य प्रतिदिन बजरंग बाण का जाप करते हैं उसका अर्थ क्या है जाने हिंदी में आप जो सुबह शाम बजरंग बान का जो पाठ करते हैं उसके क्या फायदे हैं क्या आपको करना चाहिए या नहीं इस लेख में पूरी जानकारी दी गई है कृपया पूरा पढ़ें !
Bajrang Baan Lyrics With Hindi Meaning
|| दोहा ||
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सम्मान |
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ||
अर्थ – जो भी राम भक्त श्री बजरंगबली हनुमान के सामने संकल्प लेकर पूरी श्रद्धा व प्रेम से उनसे प्रार्थना करता है श्री हनुमान उनके सभी कार्यों को शुभ करत हैं
|| चौपाई ||
जय हनुमंत संत हितकारी | सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ||
जन के काज विलंब न कीजे | आतुर दोरी महासुख दीजिए |२|
|| दोहा ||
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै,सदा धरै उर ध्यान |
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ||
अर्थ – हे संतों की कल्याण करने वाले श्री हनुमान आपकी जय हो, हे प्रभु हमारी प्रार्थना सुन लीजिए | हे बजरंगबली वीर हनुमान अब भक्तों के कार्यों को सवारने में देरी न करें व सुख प्रदान करने के लिए जल्दी से आइये |
जैसे कूदि सिंधु वहि पारा | सुरसा बदन पैठि विस्तारा ||
आगे जाय लंकिनी रोका | मारेहु लात गई सुर लोका |४|
जाय विभीषण को सुख दीन्हा | सीता निरखि परम पद लिन्हा ||
भादू जारी सिंधु महं बोरा | अति आतुर यम कातर तोरा ||
अक्षय कुमार मारी संहारा | लूम लपेटी लंक को जारा ||
लाह समान लंक जरि गई जय जय धुनि सुर पुर महं भई ||
अर्थ – हे बजरंगबली जैसे आपने कूदकर सागर को पार कर लिया था | सुरसा जैसी राक्षसी ने अपने विशालकाय शरीर से आपको लंका जाने से रोकना भी चाहा, लेकिन जिस तरह आपने उसे लात मारकर देव लोग पहुंचा दिया था |
जिस तरह लंका जाकर अपने विभीषण को सुख दिया | माता सीता को ढूंढ कर परम पद की प्राप्ति की | आपने रावण की लंका के बाग उजाड़े और आप रावण के भेजे सैनिकों के लिए यम के दूत बने |
जितनी तेजी से अपने अक्षय कुमार का संहार किया, जैसे आपने अपनी भूत से लंका को लाख के महल के समान जला दिया जिससे आप की जय जयकार सुर पुर यानी स्वर्ग में होने लगे |
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी | कृपया करहु उर अंतर्यामी ||
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता | आतुर हुई कोई दु:ख नहीं पाता ||
जय गिरिधर जय जय सुख सागर | सूर्य समूह समरथ भटनागर ||
ओम हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले | बैरीहि मारू बज्र की कीले ||
गदा बज्र लै बैरीहि मारो | महाराज प्रभु दास उबारो ||
अर्थ – हे स्वामी अब किस कारण आप देरी कर रहे हैं, हे अंतर्यामी कृपा कीजिए !
भगवान राम के भ्राता लक्ष्मण के प्राण बचाने वाले हे बजरंगबली हनुमान आपकी जय हो !
मैं बहुत आतुर हूं आप मेरे कष्टों का निवारण करें, हे गिरिधर सुख के सागर बजरंगबली आपकी जय हो सभी देवताओं सहित स्वयं भगवान विष्णु जितना समर्थय रखने वाले पवन पुत्र हनुमान आपकी जय हो |
हे परमेश्वर रूपी हठीले हनुमान बज्र की कीलो से शत्रु पर प्रहार करो अपनी वज्र की गदा लेकर बैरियो का विनाश करो ! हे बजरंगबली महाराज प्रभु इस दास को छुटकारा दिलाओ !
ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो | बज्र गदा हनु विलम्ब ना लावो ||
ॐ हीं हीं हीं हनुमन्त कपीसा | ओम हूं हूं हूं हनु अरि उर शीशा ||
सत्य होउ हरि शपथ पायके | राम दुत धरू मारू धाय के ||
जय जय जय हनुमन्त अगाधा | दु:ख पावत जन केहि अपराधा ||
अर्थ – हे वीर हनुमान ओंकार की हुंकार भरकर अब कष्टों पर धावा बोलो और अपनी गदा से प्रहार करने में विलम्ब न करें |
हे शक्तिमान परमेश्वर कपीश्वर बजरंगबली हनुमान दुश्मनों के शीश धड़ से अलग कर दो | भगवान श्री हरि खुद कहते हैं कि उनके शत्रुओं का विनाश राम दूत बजरंग बली हनुमान तुरंत आकर करते हैं |
हे बजरंगबली मैं आपकी दिल कीअथाह गहराइयों से जय जयकार करता हूं लेकिन प्रभु आपके होते हुए लोग किन अपराधों के कारण दुखी हैं |
पूजा जब तक नीमच आरा | नाही जानत कुछ दास तुम्हारा ||
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं | तुमरे बल हम डरपत नाहीं ||
पाय परौं कर जोरि मानवों | यह अवसर अब केही गोहरावों ||
जय अंजनि कुमार बलवन्ता | शंकर सुवन धीर हनुमन्ता ||
अर्थ – हे महावीर आपका ये दास जप, तप, नियम, अचार कुछ भी नहीं जानता, जंगलों में, उपवन में, पहाड़ों में, या फिर घर पर कहीं भी आपकी कृपा से हमें डर नहीं लगता |
हे प्रभु मैं आपके चरणो में पढ़कर अर्थात दंडवत होकर या फिर हाथ जोड़कर आपको मनाऊं |
इस समय मैं किस तरह आप की पुकार लगाऊं हे अंजनी पुत्र, हे भगवान शंकर के अंश वीर हनुमान आपकी जय हो |
बदन कराल काल कुल धारक | राम सहाय सदा प्रतिपालक ||
भूत प्रेत पिशाच निशाचर | अग्नि बेताल काल मारीमर ||
इन्हें मारु तोहि शपथ राम की | रघु नाथ मरजाद नाम की ||
जनकसूता हरि दास कहावो | ताकि शपथ विलम्व न लावो ||
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा | सुमिरत होत दुसह दु:ख नासा ||
चरण शरण कड़ी जोड़ी मनाओ | यही अवसर अब के ही गोहरावौं ||
अर्थ – हे वीर हनुमान आपका शरीर काल के समान विकराल है | आप सदा भगवान श्री राम के सहायक बने सदा उनके बचन की पालन की है |
भूत, प्रेत, पिशाच व रात्रि में घूमने वाली दुष्ट आत्माओं को आप अपनी अग्नि से भस्म कर देते हैं | आपको भगवान राम की शपथ है इन्हें मार कर भगवान राम व अपने नाम की मर्यादा रखो स्वामी |
आप माता सीता के भी दास कहलाते हैं आपको उनकी भी कसम है इस कार्य में देरी ना करें ! आकाश में भी आपकी जय जय कार की ध्वनि सुनाई दे रही है आपके स्मरण से दुष्कर कष्टों का नाश हो जाता है |
आपके चरणों की शरण लेकर हाथ जोड़कर आपसे विनती है प्रभु, प्रदर्शन करें, मुझे राह सुलझाएं मैं क्या करूं |
उठु उठु चालू तोहिं राम दुहाई | पांय परौं कर जोरि मनाई ||
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता | ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ||
ॐ हं हं हं हांक देत कपि चन्चल | ॐ सं सं सहम खल दल ||
अर्थ – हे वीर हनुमान आपको भगवान श्री राम की दुहाई है उठकर चलो आपको पाव गिरते है आपके सामने हाथ जोड़ते हैं |
हे सदा चलते रहने वाले हनुमान चले आओ | श्री हनुमान चले आओ हे वानर राज आपकी हुंकार से राक्षसों के दल सहम गए हैं भयभीत हो गए हैं |
अपने जन को तुरंत उवारो | सुमिरत होय आनंद हमारो ||
यही बजरंग वाण जेही मारो | ताहि कहो फिर कौन उबारो ||
पाठ करै बजरंग बाण की | हनुमत रक्षा करै प्राण की ||
यह बजरंग बाण जो जापै | तेही ते भूत प्रेत सब कांपे ||
धूप देय अरु जपै हमेशा | ताके तन नहीं रहे कलेशा ||
अर्थ – हे बजरंगबली श्री हनुमान अपने भक्तजनों का तुरंत कल्याण करो | आपके सुमिरन से हमें आनंद मिले |
जिसको यह बजरंग बान लगेगा फिर उसका उधार कौन कर सकता है | जो इस बजरंग बाण का पाठ करता है श्री हनुमान स्वयं उसके प्राणों की रक्षा करते हैं |
जो भी इस बजरंग बाण का जाप करता है, उसे भूत-प्रेत सब डरकर कांपने लगते हैं | जो बजरंगबली महावीर हनुमान को धूप आदि देकर बजरंग बाण का जाप करता है उसे किसी प्रकार के कष्ट नहीं सताता |
|| दोहा ||
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै,सदा धरै उर ध्यान |
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ||
अर्थ – जो प्रेम से महावीर श्री हनुमान का भजन करता है अपने हृदय में सदा उनको धारण किए रहता है उनके सारे कार्य को स्वयं हनुमान सिद्ध करते हैं
जय श्री राम ! जय हनुमान !
बजरंग बाण का पाठ किस समय करना सबसे अधिक लाभकारी होता है?
श्री बजरंग बाण का पाठ आप सुबह स्नान व नित्य क्रिया करने के बाद कर सकते हैं परन्तु कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बजरंग बाण का पाठ मंगलवार, शनिवार को कर सकते है साथ ही साथ हनुमान जयंती के दिन विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए बजरंग बाण पथ विशेष रूप से किया जाता है।
बजरंग बाण पढ़ने से क्या फायदा होता है
बजरंग बाण पढ़ने से बहोत सारे फायदे होते हैं। यह एक प्राचीन हिंदी पाठ है जो श्री हनुमान जी महराज को समर्पित है। इस पाठ को पढ़ने या सुनने से मनोबल में वृद्धि होती है !
बजरंग बाण पढ़ने से मन की शांति और स्थिरता मिलती है। यह पाठ तनाव को कम करके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
यह आत्मविश्वास को बढ़ाता है और संघर्षों के सामर्थ्य को बढ़ाता है। यह पाठ ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और सचेतता और जागरूकता को प्रोत्साहित करता है।
बजरंग बाण पढ़ने से शारीरिक और मानसिक रोगों का निदान हो सकता है। बजरंग बाण का पाठ करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमणों से बचाव करता है।
इसके अलावा, बजरंग बाण पढ़ने से शारीर का ऊर्जा स्तर बढ़ता है और सक्रियता और स्थायित्व को बढ़ाता है। यह पाठ व्यायाम करने और शारीरिक दक्षता को बढ़ाने में सहायक होता है।
सार्थक और नियमित बजरंग बाण पाठ आपकी आत्मिक एवं शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
इसे रोज़ाना पाठ करने से समस्त दुःख दूर हो सकते हैं और सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान हो सकता है। इसलिए, बजरंग बाण पढ़कर व्यक्ति अपने जीवन में स्थिरता, संतुलन और सफलता प्राप्त कर सकता है।
बजरंग बाण का पाठ क्यों किया जाता है?
बजरंग बाण का पाठ एक महत्वपूर्ण हिंदू पौराणिक कथा है जो मुख्य रूप से श्री हनुमान जी की महिमा और शक्ति को प्रशंसा करता है।
इस पाठ का मूल उद्देश्य हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, भक्ति और रक्षा की प्राप्ति करना है।
इसे नियमित रूप से पाठ करने से मान्यता है कि भक्त बजरंग बाण की कृपा से सभी बाधाओं को पार कर सकता है और सुख-शांति और संतुलन की प्राप्ति कर सकता है।
बजरंग बाण का पाठ करने से मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है और भक्त को संयम, समर्पण और आत्मविश्वास में सुधार मिलता है। इसलिए, बजरंग बाण का पाठ हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रथा माना जाता है।
बजरंग बाण कितने दिन में सिद्ध होता है?
बजरंग बाण एक प्रसिद्ध हिंदू मंत्र है जो हनुमान जी को समर्पित है। यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा, शक्ति और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसे नियमित रूप से जाप करने से मान्यता है कि भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे धार्मिक और मानसिक उन्नति मिलती है।
बजरंग बाण को प्रारंभ करने के लिए कोई विशेष अवधि निर्धारित नहीं है। हालांकि, कई लोग इसे 11 दिनों तक या 40 दिनों तक जाप करते हैं ताकि उन्हें पूर्ण सिद्धि मिले। यह अवधि व्यक्ति की आस्था और साधना के अनुसार भी बदल सकती है।
बजरंग बाण का पाठ विशेष तरीके से किया जाता है। इसे प्रातःकाल या संध्याकाल में पवित्र जगह पर बैठकर, शुद्ध मस्तिष्क और दृढ़ निश्चय के साथ किया जाता है।
मंत्र का पाठ करते समय एक गुणवत्ता रखना चाहिए कि यह सही उच्चारण, स्पष्टता और ध्यान के साथ किया जाए।
बजरंग बाण का जाप करने से मन, शरीर और आत्मा में शुद्धि होती है और भक्त को आत्मविश्वास, संयम और समर्पण में सुधार मिलता है। इसलिए, यदि कोई व्यक्ति बजरंग बाण का नियमित जाप करता है, तो वह आनंद, शांति और धार्मिक उन्नति की प्राप्ति कर सकता है।
बजरंग बाण कितने दिन में सिद्ध होता है?
बजरंग बाण एक प्रमुख हिंदू मंत्र है जो हनुमान जी की महिमा और शक्ति को प्रशंसा करता है।
यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। बजरंग बाण को सिद्ध करने के लिए कोई निश्चित समयावधि निर्धारित नहीं है।
प्रत्येक व्यक्ति की आस्था, साधना और साधकता के आधार पर यह अवधि अलग-अलग हो सकती है।
कुछ लोग इसे एकादशी तिथि से प्रारंभ करके 11 दिनों तक जाप करते हैं। अन्य लोग इसे हर मंगलवार या शनिवार को नियमित रूप से जाप करते हैं।
हालांकि, बजरंग बाण की सिद्धि के लिए न सिर्फ अवधि महत्वपूर्ण है, बल्कि उच्चारण, ध्यान, शुद्धता और विश्वास भी महत्वपूर्ण हैं।
मंत्र को सही उच्चारण के साथ जाप करना आवश्यक है ताकि इसकी शक्ति और प्रभाव व्यक्त हो सके। व्यक्ति को अपने मन को शांत रखकर, समर्पित भाव से और नियमितता के साथ बजरंग बाण का जाप करना चाहिए।
ध्यान और विश्वास के साथ बजरंग बाण का पाठ करने से मान्यता है कि व्यक्ति उसके द्वारा श्री हनुमान जी की कृपा प्राप्त कर सकता है और अपने जीवन को सफलता और सुख की ओर प्रगामी बना सकता है।